कैसे तुमको अनदेखा कर दूँ, Short Poems By Mamta Gupta| Mamtawritess

 

 

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कैसे तुमको अनदेखा कर दूँ,
तुम से मिलकर ही तो, मैं खुद से मिल पायी हूँ ।
तुम से मिलकर ही तो जाना,
कैसे बिन गुलाबों के मौसम में भी, गालों पर गुलाब खिल जाया करते हैं ।
कैसे बिन बादल भी, बरखा हो जाया करती है ।

तुम से मिलने से पहले, मुझको मालूम ही न था,
मेरे भीतर ही कहीं, छुपे बैठे हैं हजारों अनकहे जज्बात ।
अपना नया परिचय पाकर,
मैं खुद ही, खुद पर हैरान हूँ ।
जेठ की भरी दुपहरी में, बिन तारों के भी,
तारों की महफिल सज जाया करती है
और
मैं कोयल सी कूका करती हूँ।

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